
ठगी के शिकार पीड़ितों को न्याय दिलाने में नाकाम साबित हो रही है साइबर पुलिस।

दो साल में शायद ही कोई ऐसा पीड़ित हो जिसे न्याय दिला पाया साइबर पुलिस
नवादा, बिहार। जिले में साइबर ठगी के मामले में बेतहासा वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा राज्य के कमोबेश सभी जिला मुख्यालय में साइबर थाना का स्थापना किया गया था। इसी कड़ी में 09 जून 2023 को नवादा जिला मुख्यालय में भी साइबर थाना का उद्धघाटन तत्कालीन एसपी अंब्रिश राहुल ने उद्घाटन किए। उस समय से लेकर वर्तमान समय तक साइबर थाना के दो वर्ष बीतने के बाद भी आजतक बतौर थानाध्यक्ष दो पुलिस उपाधीक्षक को जिम्मेवारी मिली। जिसमे अस्थाई रूप से शुरुआत दौर में मुख्यालय डीएसपी कल्याण आनंद को जिम्मेवारी दी गई थी। जिसे कुछ महीनों के बाद पूर्ण प्रभार के साथ महिला पुलिस उपाधीक्षक प्रिया ज्योति को साइबर थाना का थानाध्यक्ष बनाया गया। तब से लेकर आज थाना के दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन जिस उद्देश्य और मकसद के साथ लोगों ने कयास लगाया था वह दो वर्ष बाद भी नाकाम दिख रहा है।
थाने में दर्ज होती है दो तरह के एफआईआर :-
साइबर मामले में दर्ज प्राथमिकी के पड़ताल के दौरान दो तरह के मामले खास कर पाए गए हैं। पहला प्रकार का एफआईआर ठगी के शिकार या फिर ऑनलाइन धोखाधड़ी के पीड़ितों का पाया गया। वहीं दूसरी प्रकार की एफआईआर साइबर थाना की पुलिस उपलब्धियों वाला पाया गया। दूसरी प्रकार के मामले में तो पुलिस पारदर्शिता रखते हुए अपनी उपलब्धियों को गिनाते और दिखाते पाए गए। लेकिन पहली प्रकार के मामले में पुलिस कुछ भी बताने से परहेज करती दिख रही है। ऐसे में साइबर थाना पहुंचने वाले ठगी के शिकार पीड़ितों द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर पुलिस क्या कारवाई कर रही है ? या फिर एफआईआर दर्ज कर मामले का इतिश्री कर लिया गया है ? दर्ज कांड में शामिल अपराधी चिन्हित भी हुए या नहीं, अपराधी पकड़े भी गए है या नही, पीड़ित का ठगी वाली रकम मिलेगी भी या नहीं, पीड़ित रकम मिलने का आस लगाए या फिर नियति मान भूल जाए ऐसे ढेरों सवाल है जिनका जवाब शायद ही मिल पाया हो। इसी पहली प्रकार के मामले को ध्यान में रखते हुए जब तहलका की क्राइम टीम ने ठगी के शिकार पीड़ितों से बातचीत कर मामले की जानकारी प्राप्त किया। जिसके आधार पर कुछ पीड़ितों का दुख दर्द को पाठकों के बीच लेकर पहुंचा हूं।
(1) साइबर थाना कांड संख्या 01/23 के काशीचक निवासी पीड़ित नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया की बड़ी मुश्किल से एक एक पाई जोड़कर बैंक खाते में रूपया जमा किया था। जिसे साइबर अपराधियों द्वारा खाते से 01 लाख 15 हजार की अवैध निकासी कर लिया गया था। जिला में खुले साइबर थाना पर विश्वास कर मामला दर्ज करवाया। आज दो वर्ष बीत गए लेकिन उनके मामले में पुलिस ने क्या किया, कुछ नहीं पता। रूपया मिलने की आस में कई बार थाना का चक्कर लगाया। लेकिन कोई भी पुलिस कर्मी सही से बातचीत भी करना पसंद नहीं करता है। ऐसा व्यवहार करते है की मानों एफआईआर दर्ज करा कर कोई गुनाह कर दिया हूं।
(2) कांड संख्या 03/23 के दतरौल पकरीबरावां निवासी पीड़ित रंजित कुमार ने बातचीत के दौरान बताया की उसके खाते से 01 लाख 09 हजार की अवैध निकासी कर ली गई थी। 18 जून 2023 को मामला दर्ज करवाने के बाद कम से कम 50 बार साइबर थाना का चक्कर लगाया लेकिन अधिकारी सही से बात करने को तैयार नहीं हुआ और ना ही उसके द्वारा दर्ज कराया गया कांड पर पुलिस द्वारा की जा रही कारवाई आदि से ही अवगत कराया गया। रूपया पैसा मिलना तो दूर अनुसंधानकर्ता सहित अन्य पुलिस अधिकारी सही ढंग से बात करना मुनासिब नहीं समझते है। परिणाम थाना जाना ही छोड़ दिए। साथ ही रंजित कुमार ने एक और मामले की जानकारी देते हुए बताया की उनके पेट्रोल पंप के करेंट खाते में 54 हजार का संदिग्ध ट्रांजेक्शन का हवाला देकर कई महीनों से खाता को साइबर सेल द्वारा फ्रीज करवा दिया गया है। जिसे डी फ्रीज करवाने को लेकर कई दफा साइबर थाना पहुंच गुहार लगाया लेकिन कोई असर नहीं हुआ। नतीजा 10 लाख रुपया फंस जाने से मेरा धंधा मार खा रहा है।
(3) कांड संख्या 53/23 के वारिसलीगंज निवासी पीड़ित संतोष कुमार ने बातचीत के दौरान बताया की वह एक सोशल एक्टिविस्ट है जिसका हकीकत सब तक नामक फेसबुक पेज को साइबर अपराधियों द्वारा हैक कर लिया गया। समय रहते साइबर थाना पहुंच शिकायत दर्ज करवाया गया। इसके बावजूद पुलिस द्वारा कोई कारवाई की भी गई या नहीं उन्हें कुछ नहीं पता। लेकिन पेज हैक करने के बाद साइबर अपराधियों द्वारा करीब 04 हजार डॉलर भारतीय करेंसी में करीब 03 लाख 50 हजार की निकासी की गई। जिसका समय समय पर साइबर पुलिस को जानकारी उपलब्ध कराया गया। बावजूद साइबर पुलिस द्वारा अनसुना कर मामले को फाइलों में दबा दिया गया। थक हार कर थाना जाना या फिर हो रही निकासी के बारे में जानकारी देना छोड़ दिया।
(4) कांड संख्या 64/23 के पीड़ित रोह निवासी संतोष कुमार ने बातचीत के दौरान बताया की साइबर अपराधियों द्वारा मैसेज भेज कर करीब 90 हजार रुपया ठगी कर लिया गया। इस बाबत 09 दिसंबर 2023 को नवादा शहर स्थित साइबर थाना में एफआईआर दर्ज करवाया। लेकिन इसके बाद से साइबर पुलिस द्वारा कोई रिस्पॉन्स नही मिला और ना ही अनुसंधानकर्ता ने ही उनसे संपर्क किया। दर्ज कराए गए मामले में पुलिस द्वारा क्या कारवाई की गई या फिर की जा रही है कुछ नहीं पता. अब तो साइबर थाना जाने का मन ही नही करता है।
(5) कांड संख्या 72/24 के फरहा अकबरपुर निवासी हीरा लाल चौधरी ने ठगी से संबंधित अपनी व्यथा बताते हुए कहा की साइबर ठगों द्वारा उनकी गाढ़ी कमाई 87 हजार रुपए को तीन बार में अवैध निकासी कर लिया गया। बड़े अरमान के साथ नवादा साइबर थाना पहुंच कर एफआईआर दर्ज करवाया. ताकि साइबर अपराधियों द्वारा लूटी गई रकम मिल सके या फिर ठगों को सबक सिखाया जा सके। लेकिन साइबर थाना पुलिस का तो व्यवहार ही इतर निकला। जहां एफआईआर दर्ज करवाने वाले पीड़ितों के प्रति किसी प्रकार की संजीदगी नहीं पाई गई। कांड दर्ज करवाने के बाद से आज तक कोई पदाधिकारी या अनुसंधानकर्ता ने सुध लेने की जहमत नहीं उठाया। नियति का खेल मान कर भूलने की नाकाम कोशिश करता हूं।







