बिहार के हाल देख सतर्क हुए सीएम योगी, 50 साल ज्यादा पुराने पुल को लेकर दिया यह निर्देश

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Yogi Adityanath- India TV Hindi

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योगी आदित्यनाथ

बिहार में लगातार पुल बहने के मामले चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी दुर्घटना से पहले ही चौकन्ने हो गए हैं। उन्होंने गुरुवार को 50 वर्ष से अधिक पुराने सेतुओं का निरीक्षण करने और सुरक्षित न हो तो तत्काल यातायात बंद कराने के निर्देश दिए। सीएम योगी ने लोक निर्माण विभाग की परियोजनाओं की समीक्षा की और कहा कि गुणवत्ता और समयबद्धता से समझौता नहीं होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने किहा कि सड़क हो या सेतु निर्माण, स्वीकृति से पहले लोक महत्ता/आवश्यकता की परख करें। उत्तर प्रदेश में हर दिन 09 किमी मार्गों का चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण हो रहा है और गांवों में 11 किमी नई सड़क  बन रही है। सीएम योगी ने निर्देश दिए हैं कि कांवड़ यात्रा से जुड़े मार्गों की तत्काल मरम्मत कराएं। इसके साथ ही ब्लॉक मुख्यालयों को 02 लेन रोड कनेक्टिविटी देने का कार्य यथाशीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए गए। 

बदलेगा सड़कों के चौड़ीकरण का मानक

मुख्यमंत्री का निर्देश है कि अन्य जिला मार्ग में आधी सड़कें FDR तकनीक से बनाई जाएं। आमजन की सुविधा के लिए सड़कों के चौड़ीकरण का मानक बदलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव मांगा है। परियोजनाओं की समयबद्धता और गुणवत्ता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि काम शुरू होने और समाप्त करने की तिथि DPR के साथ ही तय होनी चाहिए। सीएम ने नवाचार को अपनाने, आईआईटी जैसे संस्थानों को जोड़ने के भी निर्देश दिए।

सीएम योगी के प्रमुख दिशा-निर्देश

  • विगत 07 वर्षों में प्रदेश की रोड कनेक्टिविटी में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। वर्ष 2017 के सापेक्ष आज 2024 में स्टेट हाइवे 7002 किमी से बढ़कर 10214 किमी हो गया है, जबकि ग्रामीण मार्गों की लंबाई 1,87,517 किमी से बढ़कर 1,93,581 किमी हो गई है। इसी प्रकार, प्रमुख जिला मार्गों और अन्य जिला मार्गों का संजाल में भी विस्तार हुआ है। आज प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 09 किमी मार्गों का चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण हो रहा है और हर दिन गांवों में लगभग 11 किमी नई सड़क बन रही है। विकास के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में सड़क निर्माण की यह गति अभूतपूर्व है। इसे और बेहतर करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
  • 50 वर्ष आयु पूर्ण करने वाले प्रदेश के सभी सेतुओं का सूक्ष्मता से निरीक्षण कराया जाए। उनके सुपर स्ट्रक्चर/पियर की स्थिति, सेतुओं के वाटर-वे में ब्लाकेज, पियर के साइड में स्कावर होल, सेतु के एबटमेन्ट ढाल एवं बोल्डर का परीक्षण कराया जाना चाहिए। निरीक्षण के समय कोई सेतु असुरक्षित नजर आता हो तो तत्काल उसे यातायात के लिए बंद किया जाए। स्थानीय जिला प्रशासन को इसकी सूचना दें।
  • आगामी दिनों में कांवड़ यात्रा के दृष्टिगत जनपदों में इनसे जुड़े मार्गों को शतप्रतिशत गड्ढामुक्त किया जाए। 15 जुलाई तक यह कार्य पूरा करा लिया जाए। ऐसे मार्ग, जहां जलभराव होता है, उन स्थानों पर जल निकासी की व्ययस्था सुनिश्चित की जाए।
  • ब्लॉक मुख्यालयों को 02 लेन सड़क की कनेक्टिविटी देने का संकल्प समय से पूरा होना चाहिए। यह संतोषप्रद है कि कुल 165 में से 143 मार्गों का निर्माण पूरा हो गया है, यथाशीघ्र अवशेष कार्यों को भी पूरा कर लिया जाए।
  • यह सराहनीय है कि देश में सर्वप्रथम यूपी पीडब्ल्यूडी द्वारा FDR निर्माण तकनीक का प्रयोग किया गया। जनपद उन्नाव में FDR का कार्य पुराने मार्ग को रीसाइकिल कर सीमेंटेड बेस एवं कानपुर देहात में एडिटिव का प्रयोग कर निर्माण कार्य कराया गया था। यह अच्छा प्रयोग था। हमारा प्रयास हो कि अन्य जिला मार्गों में बनने वाली कुल सड़कों का आधा इसी तकनीक से बनाया जाए। नवाचारों को अपनाएं।
  • मार्ग पर वर्तमान PCU पर प्रतिवर्ष होने वाली बढ़ोत्तरी को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में विभिन्न श्रेणी के मार्गो के चौड़ीकरण के मानकों को और बेहतर किया जाना चाहिए। सड़कें और चौड़ी हों, इससे आवागमन और अधिक सुविधाजनक होगा। नई सड़क पर बरसात से कटान हो तो उसका सुधारीकरण तत्काल कराया जाए।
  • सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले। 
  • यह संतोषजनक है कि राज्य सेतु निगम द्वारा विगत 07 वर्षों में 270 नदी सेतु, 115 आरओबी, 10 फ्लाईओवर सहित जनहित से जुड़ी 395 परियोजनाओं को पूरा किया गया है। सेतु निगम, लोक निर्माण विभाग और राजकीय निर्माण निगम में विशेषज्ञों की तैनाती की जाए। कहीं भी मानव संसाधन की कमी न हो। कैपेसिटी बिल्डिंग करें। आईआईटी जैसे संस्थानों को भी जोड़ें।
  • प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है। DPR को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए।

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